IIT Baba Abhay Singh या iitian Baba Biography

IIT Baba Abhay Singh या IItian Baba Biography

आईआईटीयन बाबा अभय सिंह Haryana  के झज्जर (jhajjar) के रहने वाले हैं। उनके पिता कर्ण सिंह जो की पेशे से एडवोकेट हैं। झज्जर बार एसोसिएशन के प्रधान भी रह चुके हैं। Abhay ने IIT Bombay से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की है। इसके बाद Canad जाकर Aeroplane बनाने वाली कंपनी में काम किया।जहाँ पर इनकी हर महीने की कामयी ३ लाख से ज्यादा थी उसके बाद भी  इसके बाद अचानक वह अपने  देश लौटे और कुछ समय बाद घर से गायब हो गए। महाकुंभ (mahakumb Mele)  से जब उनकी वीडियो वायरल हुई तो परिवार को पता चला। हालांकि, अब वे इस बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहते।

कौन हैं IIT BABA ABHAY SINGH (‘इंजीनियर बाबा‘) ?

इंजीनियर बाबा के नाम से इंटरनेट पर वायरल हो रहे अभय सिंह का दावा है कि वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT-B) के पूर्व Student हैं। उन्होंने वहां से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में BTECH  किया है। अभय सिंह (Abhay Singh)  मूल रूप से Haryana से आते हैं। उन्होंने अपने अनोखे अंदाज से महाकुंभ में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।जूना अखाड़े से जुड़े अभय सिंह चित्र और आरेखों की मदद से जटिल आध्यातिमक अवधारणाओं को सरल तरीके से श्रद्धालुओं को समझाते हैं।

बाबा अभय सिंह (IIT Baba Abhay Singh) ने आईआईटी (iit bombay) से ‘भक्ति’ की राह पर आने के अपने सफर के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि उनका जन्म हरियाणा के झज्जर में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं की, इसके बाद वे जेई की तैयारी करने लगे। इसके बाद वे एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के लिए मुंबई आईआईटी गए। जहां उनके जीवन ने अलग-अलग मोड़ लिए। उन्होंने बताया कि आईआईटी से जब में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कर रहा था तो मुझे लगता था कि यही सब कुछ है। बाद में जब मैं अध्यात्म की ओर अग्रसर हुआ तो अब मुझे लगता है कि असली साइंस यही है।

Abhay Singh के जीवन के बारे में बताई अहम बात

अभय सिंह (Abhay Singh)  का कहना है कि इंजीनियरिंग के दौरान उनका खासा झुकाव Huminity की ओर था। इस बाबत उन्होंने दर्शन से जुड़े अलग-अलग ग्रंथों और दार्शिनिकों को पढ़ा। इस दौरान उनकी डिजाइनिंग में भी रुचि बढ़ी। जिसके चलते उन्होंने दो सालों तक डिजाइनिंग भी सीखी। बाद में उन्होंने काफी समय तक फोटोग्राफी करने वाली एक कंपनी में भी काम किया, लेकिन कुछ समय बाद वहां से भी उनका मन भर हो गया। इस दौरान वे डिप्रेशन (depression)  में चले गए।

जिससे निकलने के लिए वे कनाडा में काम करने भी गए। जहां उन्होंने नौकरी भी की। जहां उनकी सैलरी तीन लाख प्रति महीने थी. उसके बाद सैलरी में इजाफा भी हुआ। हालांकि वहां भी उनका मन नहीं लगा। बाद में कोरोना के दौरान वे भारत आ गए। इसके बाद उन्होंने दर्शन से जुड़े विषयों का अध्ययन शुरू किया और अपने जीवन का सार समझने की कोशिश शुरू की। अब उनका कहना है कि उन्होंने अपना जीवन भगवान को समर्पित कर दिया है। भक्ति में उनको वो सुकून मिल रहा है जो वे खोज रहे थे।अध्यात्म’ केवल एक व्यक्तिगत खोज नहीं – IIT Baba Abhay Singh कहते हैं कि ‘अध्यात्म’ केवल एक व्यक्तिगत या अलग-थलग खोज नहीं है। यह वह सार है जो भारत के संपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ताने-बाने को बांधता है।

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